उत्तराखंड के ये मुस्लिम जो करने जा रहे हैं उसे देख तो ओवैसी जैसों को लगे...



In Uttarakhand, Muslim people are planning to teach Sanskrit in Madrasas and Islamic schools. It can be started in the next academic session. The purpose behind teaching Sanskrit is to get information related to yoga and Ayurveda.



Madrasa Welfare Society, with madrassas of Dehradun, Haridwar, Nainital and Udham Singh Nagar district, conducts 207 madrassas. About 25 thousand students study this



The Society has offered to teach Sanskrit language as a subject. The Madrasa Welfare Society has written a letter to CM Trivendra Singh Rawat so that the restoration of teachers of Sanskrit can get green signal.



Society's Chairman Sibte Nabi said that madarsas are already teaching Hindi, English, science and mathematics under modern education. In a conversation with a newspaper, he said, "When we can read English which is a foreign language, then why not the ancient language of India?"



On the other hand, Maulana Akhtar Raza, manager of madrassa in Udham Singh Nagar district Kichha said that there is no aliasing for Sanskrit Muslims, he said that there are many Muslim scholars who know this language very well.

उत्तराखंड में मुस्लिम लोग मदरसों और इस्लामिक स्कूलों में संस्कृत पढ़ाने की योजना बना रहे हैं। ये अगले एकेडमिक सेशन में शुरू किया जा सकता है। संस्कृत पढ़ाने के पीछे का उद्देशय योग और आयुर्वेद से जुड़ी जानकारी हासिल करना है।



देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले के मदरसे सहित मदरसा वेलफेयर सोसाइटी 207 मदरसों का संचालन करती है। इनमें करीब 25 हजार छात्र पढ़ते हैं।



सोसाइटी ने संस्कृत भाषा को एक विषय के रूप में पढ़ाए जाने की पेशकश की है। मदरसा वेलफेयर सोसाइटी ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक चिट्ठी भी लिखी है ताकि संस्कृत के शिक्षकों की बहाली को हरी झंडी मिल सके।



सोसाइटी के चेयरमैन सिब्ते नबी ने कहा कि मदरसों में पहले से ही मॉडर्न एजुकेशन के तहत हिंदी, अंग्रेजी, साइंस और गणित पढ़ाया जा रहा है। एक अखबार से बातचीत में उन्होंने कहा, ”जब हम अंग्रेजी जो एक विदेशी भाषा है उसे पढ़ा सकते हैं तो भारत की प्राचीन भाषा को क्यों नहीं?”



वहीं उधम सिंह नगर जिले किच्छा में मदरसे के मैनेजर मौलाना अख्तर रजा ने कहा कि संस्कृत मुस्लिमों के लिए एलियन नहीं है, उन्होंने कहा कि कई ऐसे मुस्लिम विद्वान हैं जो इस भाषा को अच्छी तरह से जानते हैं।

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