सुशासन बाबू के बिहार में दंगो की बहार क्यों है?



At this time Bihar is burning in the fire and Nitish Kumar's charisma is missing. They are not able to control it and communal violence started from Bhagalpur has spread to five districts of Bihar.

In July last year when Bihar Chief Minister Nitish Kumar, who is known as Sushasan Babu, formed a government with the alliance with the BJP, it will not be thought that within a year, his roles will start. At this time Bihar is burning in the fire and Nitish Kumar's charisma is missing. They are not able to control it and communal violence started from Bhagalpur has spread to five districts of Bihar.

Violence has already taken Bhagalpur, Aurangabad, Samastipur, Munger and Nalanda into its grip. After two community wars in Aurangabad, some people set fire to many shops. Section 144 was imposed in some places after violent clashes, and in some way mobile and internet services have also been discontinued due to rumors that the situation is not unmanageable.

When Nitish Kumar separated with the 18-month-old RJD government, the main reason for his separation was the case of corruption on the RJD chief Lalu Yadav and his family. The BJP had been pressurizing him to act under ethics and finally the alliance was broken due to Lalu Yadav's Deputy Chief Minister, Chattavy Yadav. That is, the son of Lalu Yadav made it a cause and had to join hands with the BJP.

This time even a son has emerged from trouble for Sushasan Babu Nitish Kumar. And this time, this son is associated with his new coalition partner BJP. In the central government, the son of Ashwani Choubey, son of late Ashwani Chawbey, is accused of inciting a riot at Bhagalpur in New Delhi on the day of procession and the opposition is raising the question if there is no arrest even after the case is lodged. Meanwhile, Chatting Yadav is also attacking Nitish Kumar repeatedly by the tweet.

इस समय बिहार दंगों की आग में झुलस रहा है और नीतीश कुमार का करिश्मा गायब है. वो इस पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं और भागलपुर से शुरू हुई सम्प्रदायिक हिंसा बिहार के पांच जिलों में फैल चुकी है

पिछले साल जुलाई में जब सुशासन बाबू के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई तो सोचा भी नहीं होगा कि एक साल के अंदर ही उनकी किरकिरी शुरू हो जाएगी. इस समय बिहार दंगों की आग में झुलस रहा है और नीतीश कुमार का करिश्मा गायब है. वो इस पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं और भागलपुर से शुरू हुई सम्प्रदायिक हिंसा बिहार के पांच जिलों में फैल चुकी है.

हिंसा ने पहले भागलपुर फिर औरंगाबाद, समस्तीपुर, मुंगेर और फिर नालंदा को अपने चपेट में ले लिया है. औरंगाबाद में दो समुदाय की झड़प के बाद कुछ लोगों ने कई दुकानों में आग लगा दी थी. हिंसक झड़प के बाद कुछ जगहों पर धारा 144 लगा दी गई थी और किसी तरह से अफवाह के कारण हालात बेकाबू न हों इसके लिए मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं

जब नीतीश कुमार 18 महीने के राजद के साथ सरकार चलने के बाद अलग हुए थे उस समय अलग होने का मुख्य कारण राजद के मुखिया लालू यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के मामले थे. भाजपा उन पर नैतिकता के तहत कार्रवाई का दबाव डालती रही थी और अंततः लालू यादव के उप मुख्यमंत्री बेटे तेजस्वी यादव के कारण गठबंधन टूट गया था. यानी लालू यादव का बेटा इसका कारण बना और भाजपा के साथ उन्हें हाथ मिलाना पड़ा था.

इस बार भी एक बेटा ही सुशासन बाबू नीतीश कुमार के लिए मुसीबत बन कर उभरा है. और इस बार भी यह बेटा उनकी नए गठबंधन सहयोगी पार्टी भाजपा से जुड़ा है. केंद्र सरकार में मंत्री अश्वनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत पर भागलपुर में हिंदू नववर्ष के दिन जुलूस निकालकर दंगा भड़काने का आरोप है और मुकदमा दर्ज होने के बाद भी गिरफ्तारी न होने पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. उधर तेजस्वी यादव भी ट्वीट से बार-बार नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं.

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