70 लाख से भी ज्यादा कोरियाई लोग भगवान राम की नगरी अयोध्या को मानते हैं अ...
More than seven million Korean people believe in Ayodhya, the city of Lord Ram, its ninihal, know why
Live Cities Desk: The name of the city of 'Ram', 'Ayodhya', is often in discussion with political reasons. But this time Ayodhya, the birthplace of Rama, is not a political issue but it is Korea. You may be wondering how Ayodhya's connection to Korea can be. So tell that a marriage that took place about two thousand years ago today linked Ayodhya's relation to Korea located thousands of miles away.
It was this that when Lord Rama was exiled, his home was returned after 14 years, but such a princess of Ayodhya who reached Korea from Ayodhya but never returned after returning from there. The city of Ayodhya hosts hundreds of Korean people every year. These people come to pay tribute to legendary queen Heo Hwang-ok in India.
It is believed that the princess went on a trip to Ayodhya from Korea. While going on sea journey, the princess went with a stone to make a boat with her.
According to the great men, he reached safely through this stone to reach Korea. Not only that, after reaching Korea, he also became the first queen of King Suro of Geumgwan, when King Suro was married, at that time she was only 16 years old.
This is the reason why more than 70 lakh people in Korea consider Ayodhya as their homeland. About this matter Professor Byung Mo Kim of Hanyang University says, 'Our Queen was Ayodhya's daughter, hence Ayodhya was our mother. More than two-thirds of Koreans are descended from them.
70 लाख से भी ज्यादा कोरियाई लोग भगवान राम की नगरी अयोध्या को मानते हैं अपना ननिहाल, जानें क्यों
लाइव सिटीज डेस्क : भगवान राम की नगरी ‘अयोध्या’ का नाम अक्सर राजनीतिक कारणों से चर्चा में रहता है. लेकिन इस बार राम की जन्मनगरी अयोध्या इस बार राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि कोरिया है. आप सोच रहे होंगे भला अयोध्या का कनेक्शन कोरिया से कैसे हो सकता है. तो बता दे कि आज से लगभग दो हजार साल पहले हुई एक शादी ने अयोध्या का रिश्ता हजारों मील दूर स्थित कोरिया से जोड़ दिया था.
हुआ ये था कि भगवान राम को जब वनवास हुआ था, तो 14 साल बाद उनकी घर वापसी हो गई थी, लेकिन अयोध्या की ऐसी राजकुमारी जो अयोध्या से कोरिया तो पहुंच गई लेकिन वहां से वापिस लौट कर कभी नहीं आ पाई. धर्म नगरी अयोध्या हर साल सैकड़ों कोरियाई लोगों की मेजबानी करता है. ये लोग भारत में लीजेंडरी क्वीन Heo Hwang-ok को श्रद्धांजलि देने आते हैं.
ऐसा माना जाता है, राजकुमारी अयोध्या से कोरिया की यात्रा पर गईं थी. समुद्र यात्रा पर जाते वक्त राजकुमारी अपने साथ नाव का बैलेंस बनाने के लिए एक पत्थर लेकर भी गई थी.
महापुरुषों के मुताबिक, वो इस पत्थर के सहारे सुरक्षित कोरिया पहुंच गई थी. इतना ही नहीं, कोरिया पहुंचने के बाद वो Geumgwan के King Suro की पहली रानी भी बन गई थी, जब राजा Suro की शादी हुई, उस वक्त वो महज 16 साल के थे.
यही कारण है कि कोरिया के 70 लाख से भी ज़्यादा लोग अयोध्या को अपनी मातृभूमि मानते हैं. इस मामले के बारे में Hanyang University के प्रोफेसर Byung Mo Kim का कहना है, ‘हमारी रानी अयोध्या की बेटी थी, इसलिए अयोध्या हमारी मां हुई. कोरिया के दो-तिहाई से अधिक लोग इनके वंशज हैं.
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