ये हैं मुम्बई के असली हीरो,इस तरह मुंबईकरों की राह को बनाता है आसान



ये हैं मुम्बई के असली हीरो,इस तरह मुंबईकरों की राह को बनाता है आसान

Even today, while Kalyug is at its peak. Where a human being is an enemy of another person, which is not of anyone other than himself. In such a situation, if a true person is seen then he makes a heartbeat to salute them. Seeing such a person, it is certain that humanity is alive in today's time.

Now from this point of view, every Mumbaikar is well aware that the roads in Mumbai are torn with pits. The BMC does not take responsibility for filling it and if it is the matter of the MMRDA, it does not have any sense. Especially the possibility of accidents of two wheeled cars is more intense and when the women sit on two wheels, then the likelihood of getting injured on these roads increases. And it happens so often. When a similar incident happened when Mumbai's real hero Mushtaq and Irfan saw them, they decided to do their work.

In such cases, all the Mumbaiites are usually complacent with these potholes, but no one has ever thought of taking care of it and wondering why so. Everyone thinks that this work is not ours, and along with the administration, the BMC rebukes out of these pits. But the real hero of Irrfan and Mushtaq, who was different from all these, started this work and thought that why dumpers who throw away the debris should fill these pits from them, Started the execution

Irfan says that "this series is not going to stop now. For years we have been doing this work and we will continue to do it. We will continue to fill the roads in which the pit will appear. This has become our daily work which will continue. "



आज के समय में भी जबकि कलयुग अपने चरम पर है. जहां एक इंसान दूसरे इंसान का दुश्मन बन बैठा है, जो अपने सिवा किसी और का नहीं होता है. ऐसे में अगर एक सच्चा इंसान दिख जाए तो फिर दिल करता है उन्हें सैल्यूट करने का. इस तरह के शख्सियत को देखकर ये बात तो निश्चित है कि आज के समय में भी लोगों में इंसानियत जिंदा है

अब इस बात से तो हर मुंबईकर भली-भांति वाकिफ है कि मुंबई की सड़कें गड्ढों से फटी हुई है. बीएमसी इसे भरने की जिम्मेदारी उठाता नहीं और एमएमआरडीए की बात करें तो उसे भी इसकी कोई सुध नहीं. खासकर दो पहिए वाली गाड़ियों के दुर्घटना होने की संभावना अधिक बनी रहती है और जब की महिलाएं दो पहिया गाड़ी पर बैठती है तो उनके इस तरह की सड़कों पर गिरकर जख्मी होने की संभावना बढ़ जाती है. और ऐसा अक्सर होता ही रहता है. इसी तरह की घटना को जब मुंबई के असली हीरो मुश्ताक और इरफान ने देखा तो उन्होंने अपने इस कार्य को करने का मन बना लिया

ऐसे तो आमतौर पर सभी मुंबईकर इन गड्ढों से रूबरू होते हैं लेकिन कभी किसी ने इसकी सुध लेने की नहीं सोची और सोचे भी क्यों भला. हर कोई तो यही सोचता है कि ये काम हमारा नहीं है और प्रशासन के साथ-साथ बीएमसी को गाली मारते हुए इन गड्ढों से निकल जाते हैं. लेकिन इन सब से अलग सोच रखने वाले मुंबई के असली हीरो इरफान और मुश्ताक ने इस कार्य की शुरुआत कर दी और उन्होंने सोचा कि क्यों ना डंपर चालक जो मलबे फेंक दिया करते हैं उन्हीं से इन गड्ढों को भर दिया जाए और बस उन्होंने अपने कार्य को अंजाम देने की शुरुआत भी कर दी

इरफान का कहना है कि “ये सिलसिला अभी रुकने वाला नहीं. सालों से हम इस कार्य को करते आ रहे हैं और इसे हम लगातार करते रहेंगे. जिन सड़कों में भी गड्ढे दिखेंगे हम उसे इसी तरह भरते रहेंगे. ये हमारा दैनिक कार्य बन चुका है जो निरंतर जारी रहेगा.”

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