डीजे, भड़काऊ गाने, पाकिस्तान मुर्दाबाद: बिहार में दंगों का सांप्रदायिक पै...
Songs have always been a way to reduce hatred, stop stress and remember your admiration. There is also a strong way of loving music. In every round of human civilization, music has been present and has always been positive in society. From Sage, Saints to Peer-Fakir, I have remembered my admiration through song and music.
Lovers and devotees have always resorted to songs to remember their Lord. Even today, what will you say when some songs begin to poison the society, and because of this the two communities of the society start getting assaulted. Arson People start hating each other. The police have to impose curfew for many days and have to shut down the internet service.
We are talking about, about the violent clashes in many areas of Bengal and Bihar on the occasion of Ramnavmi. On this occasion, incidents of violent clashes, arson and stones have been reported in two communities in Bhagalpur, Aurangabad, Samastipur and Munger in Bihar. A riot-like atmosphere was created and behind the scenes, the DJs included in the Shobhayatramas and some of the songs being played in it are being reasoned.
If you are not believing our point of view, then take a look at these songs.-
'Send or slaughter in Pakistan, do not drink sweets of Asin', do not drink milk '
'... the cap will also bow down, Jai Shri Ram will say ...'
'Ramalala we will come, the temple will be built there only.
Move away, why do the people of Allah surrounded the birthplace
Make the mosque elsewhere, you, this is the camp of Ramlal ...
गीत-संगीत हमेशा से नफरत कम करने, तनाव रोकने और अपने आराध्य को याद करने का माध्यम रहा है. संगीत को प्रेम जताने का एक मजबूत जरिया भी माना जाता रहा है. मानव सभ्यता के हर दौर में गीत-संगीत मौजूद रहा है और उसका समाज में हमेशा से सकारात्मक रोल रहा है. साधु, संन्यासी से लेकर पीर-फकीर तक गीत-संगीत के माध्यम से अपने आराध्य को याद करते रहे हैं.
प्रेमी अपनी प्रेमिका को और भक्त अपने भगवान को याद करने के लिए हमेशा से गीतों का सहारा लेते रहे हैं. आज भी लेते हैं लेकिन तब क्या कहेंगे जब कुछ गीतों के बोल समाज में जहर घोलने लगे, और इस वजह से समाज के दो समुदायों में मारपीट होने लगे. आगजनी की नौबत आ जाए. लोग एक दूसरे से नफरत करने लगें. पुलिस को कई दिनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ जाए और इंटरनेट सर्विस तक बंद कर देना पड़े.
हम बात कर रहे हैं, रामनवमी के मौके पर बंगाल और बिहार के कई इलाकों में हुए हिंसक झड़पों के बारे में. इस मौके पर बिहार के भागलपुर, औरंगाबाद, समस्तीपुर और मुंगेर में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं. दंगे जैसा माहौल बन गया और इनसब के पीछे शोभायात्राओं में शामिल किए गए डीजे और उसमें बजाए जा रहे कुछ गानों को कारण बताया जा रहा है.
अगर आपको हमारी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है तो इन गानों पर एक नजर डाल लीजिए.-
'पाकिस्तान में भेजो या कत्लेआम कर डालो, आस्तिन के सांपों को न दुग्ध पिलाकर पालो’
'...टोपी वाला भी सर झुकाकर जय श्री राम बोलेगा...’
'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे.
दूर हटो, अल्लाह वालों क्यों जन्मभूमि को घेरा है
मस्जिद कहीं और बनाओ तुम, ये रामलला का डेरा है...’
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