रामनवमी के बाद से बिहार और पश्चिम बंगाल दंगे की आग में क्यों जल रहे हैं?
March 17, 2018. A procession was to be taken out in Bhagalpur, Bihar under the leadership of the Indian New Year Committee. This procession was to celebrate the Hindu New Year, which was falling on the next day on 18 March. In order to remove this procession, the Indian New Year Committee gave an application seeking permission for the procession in the SDO office. The application was definitely given, but the committee was not allowed to take a procession from SDO office. In spite of this, the procession was taken out on 17 March. In addition to expressing their happiness according to the local people, the purpose of this procession was to introduce a new scale to prove to others patriotism. Most of the people involved in the procession were members of the RSS and the BJP. It was leading BJP leader Arijit Sawant Choubey, who is the son of union minister Ashwani Chaube, who is out of the union's nursery.
The procession, which started from Jai Prakash Maidan, was to end in Sandis compound (Jai Prakash Maidan), via Hassganj, Khalifa Bag, Kotwali Chowk, Gaushala, University, Champanagar Chowk, Nathnagar Chowk, Station Chowk, Lohia Bridge, Gudhhat Chowk. People used to flag the procession in the procession and they had a DJ along with them. Patriotic songs were being played in a loud voice between the slogans of 'Bharat Mata Ki Jai' and 'Vande Mataram', and the party was being celebrated and stopped somewhere on the way. When the procession reached Champanagar in Nathnagar area, Jullus was shouted aggressively by stopping in Champanagar and also some objectionable songs on the DJ. In this way some people in the area protested against this fierce performance. It started abusive language, but since the processionists were less than the local people, the procession went ahead. However, the people of the neighborhood stayed on the streets and some of the procession were left behind. According to information received from local people, the survivors were assaulted. In such a situation, the people who went ahead also returned. Then the organisms increased so much that it was impossible to stop. Before the arrival of the police, there was an assault, stone pelting, vehicles and shops were set on fire. Until the arrival of the police, people had been transformed into human beings with Hindus and Muslims. Many people were injured, some of their property wasted.
17 मार्च, 2018. बिहार के भागलपुर में भारतीय नववर्ष समिति की अगुवाई में एक जुलूस निकाला जाना था. ये जुलूस हिंदू नव वर्ष का जश्न मनाने के लिए था, जो अगले ही दिन 18 मार्च को पड़ रहा था. इस जुलूस को निकालने के लिए भारतीय नववर्ष समिति ने SDO ऑफिस में जुलूस निकालने की परमिशन मांगते हुए एक एप्लिकेशन दी थी. ऐप्लिकेशन दी ज़रूर गई थी, लेकिन SDO ऑफिस की तरफ से समिति को जुलूस निकालने की इजाज़त नहीं दी गई. इसके बावजूद 17 मार्च को जुलूस निकाला गया. स्थानीय लोगों के मुताबिक अपनी खुशी ज़ाहिर करने के अलावा इस जुलूस का मकसद दूसरों को देशभक्ति साबित करने के एक नए पैमाने से परिचित कराना भी था. जुलूस में शामिल अधिकांश लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी से ताल्लुक रखने वाले लोग थे. इसे लीड कर रहे थे बीजेपी नेता अरिजीत शाश्वत चौबे, जो संघ की नर्सरी से निकले केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे हैं
जय प्रकाश मैदान से शुरू हुआ ये जुलूस खलीफाबाग, कोतवाली चौक, गौशाला, विश्वविद्यालय, चंपानगर चौक, नाथनगर चौक, स्टेशन चौक, लोहिया पुल, गुड़हट्टा चौक से हसनगंज होते हुए वापस सैंडिस कंपाउंड (जय प्रकाश मैदान) में खत्म होना था. जुलूस में झंडे लिए लोग मोटर साइकिलों पर सवार थे और उनके साथ डीजे भी था. ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारों के बीच तेज आवाज़ में देशभक्ति वाले गाने बजाए जा रहे थे और रास्ते में कहीं-कहीं रुककर भी जश्न मनाया जा रहा था. जब ये जुलूस नाथनगर इलाके के चंपानगर में पहुंचा, तो जुलुस को चंपानगर में रोककर आक्रामक तरीके से नारेबाजी की गई और डीजे पर कुछ आपत्तिजनक गाने भी बजे. ऐसे में इलाके के कुछ लोगों ने इस उग्र प्रदर्शन का विरोध किया. इससे गाली-गलौज शुरू हुई, लेकिन चूंकि जुलूस निकालने वाले लोग स्थानीय लोगों के मुकाबले कम थे, ऐसे में जुलूस आगे बढ़ गया. लेकिन, मोहल्ले के लोग सड़कों पर ही रुके रहे और जुलूस के कुछ लोग भी पीछे बचे रह गए. स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक इन बचे हुए लोगों के साथ मारपीट की गई. ऐसे में जो लोग आगे निकल गए थे, वो भी लौट आए. फिर बवाल इतना बढ़ गया, जिसे रोकना नामुमकिन था. पुलिस के पहुंचने से पहले मारपीट हुई, पथराव किया गया, वाहनों-दुकानों में आग लगाई गई. पुलिस के पहुंचने तक लोग इंसानों से हिंदू-मुसलमान में तब्दील हो चुके थे. कई लोग घायल हुए, कइयों की संपत्ति बर्बाद हो गई.
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