हादसे में घायल 10 लड़कियों के साथ अस्पताल में डॉक्टरों ने की ये हरकत
Jalon The conditions of health services in the province are not taking the name of improvement. The latest case is that of the Trauma Center located in Urla, Jalal, where the girls who got displaced were treated on the ground. They did not get the stretcher for the treatment, nor did they get a bed, and the doctor should continue their treatment only on the ground.
Recently 10 to 12 girls were injured in an accident, for whom they were brought with the Trama Center of Uri District Hospital for treatment. But the injured were not treated properly. Neither the stretcher was arranged by the hospital nor any injuries were provided to the beds for treatment for them. He was lying in the ground by doctors and ward-bay and started treatment on the same. All this magazine has been captured in my camera. When the doctor, pharmacist and birdie saw it, he tried to lift them from there immediately and tried to provide them with beds. But here also the defect of employees in the hospital has been exposed. Where the injured girls could give up in the funeral. But no injuries were given to the stretcher by the staff of the Trauma Center. Because of which his family carried him on his shoulder and took him to the bed
About this, the families of injured girls say that proper treatment is not being done by the hospital administration and they are being treated by lying down on the ground. There were neither bad nor here, they got a stretcher that did not get proper treatment. When CMS talked to Ajay Kumar Saxena about this, he told that there is a lack of resources and when more patients come, the arrangements become a bit messy, but there is a bed and everyone is getting the right treatment. Still he is looking at it.
जालौन. सूबे में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे है। ताजा मामला जालौन के उरई स्थित ट्रामा सेंटर का है, जहां पर घायलावस्था में आयी लड़कियों का जमीन पर इलाज किया गया। उनको इलाज के लिये न तो स्ट्रेचर मिला न ही उनको बेड मिला और चिकित्सक उनका इलाज जमींन पर ही करते रह
हाल में एक हादसे में 10 से 12 लड़कियां घायल हो गई, जिनको उनके परिजन इलाज कराने के लिये उरई जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे। लेकिन यहां पर घायलों का सही इलाज नहीं किया गया। उनको इलाज के लिये अस्पताल द्वारा न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था की गयी न ही किसी भी घायल को बेड की सुविधा की गई। उन्हें जमीन में ही डाक्टरों और वार्ड बाय द्वारा लेटा दिया गया और उनका वही पर इलाज शुरू कर दिया। यह सब पत्रिका ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। जब इसको अस्पताल के चिकित्सक, फार्मेसिस्ट और बार्डबाय ने देखा तत्काल उन्हें वहां से उठाने का प्रयास किया और उन्हें बेड की सुविधा मुहैया कराने का प्रयास किया। लेकिन यहां भी अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों की खामी उजागर हो गयी। जहां घायल पडी लड़कियों को आनन-फानन में उठा जरूर दिया। लेकिन किसी भी घायल को ट्रामा सेंटर के कर्मचारियों द्वारा स्ट्रेचर नहीं दिया गया। जिस कारण उनके परिजन उन्हें अपने कंधे पर लादते हुये बैड पर ले गए
इस बारे में घायल लड़कियों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा सही इलाज नहीं किया जा रहा है और जमीन पर उनको लेटाकर इलाज किया जा रहा है। यहां पर न तो बैड मिला न ही उनको स्ट्रेचर मिला जिससे उनका सही इलाज नहीं हो पा रहा। जब इस बारे में सीएमएस अजय कुमार सक्सेना से बात की तो उन्होंने बताया कि संसाधन की कमी है और जब ज्यादा मरीज आ जाते है तो व्यवस्थायें थोड़ी बहुत गड़बड़ हो जाती है, लेकिन बेड है और सभी को सही इलाज मिल रहा है। फिर भी वह इसको देख रहे है।
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