बिहार का अजीबो-गरीब सरकारी स्कूल जहां मुर्दों के साथ बैठकर पढ़ते हैं बच्चे
Recently, a government school in Bhojpur, Bihar, has become a hallucination. Children in this school of Bihar are forced to study with corpses. Imagine the children who are afraid of seeing the corpse, it would be terrible for them to sit in between the corpses.
The case is of Kamnagar village located in Kohvar block area of Bhojpur district of Bihar, where the excavated Urdu Middle School located in a cemetery where students who study while studying with their mothers throughout the day Before coming to school, he salutes the grave and then his teachers.
Due to being a school in the cemetery, the children of the school are slowly becoming fearless. Playing between them is a daily habit of jumping and reading. When children reach the school door, they first have to cross the cemetery and the corpse.
When talking to the schoolgirl Nisha Parveen about the reality of the school, she said that we have a compulsion to the people that we do not get any other place to study, so we come to the school with this cemetery. Because we will go ahead only when we read. It has always been a custom in school that whenever children come to school, they first greet the cemetery and then the teacher.
हाल ही में बिहार के भोजपुर का एक सरकारी स्कूल इसकी बानगी बना है। बिहार के इस स्कूल में बच्चे लाशों के साथ पढ़ाई करने को मजबूर हैं। सोचिए जिस लाश को देखकर बच्चे डर से सहम जाते हैं आखिर उन लाशों के बीच बैठकर पढ़ना उनके लिए कितना भयावह होगा
मामला बिहार के भोजपुर जिला के कोइलवर प्रखंड क्षेत्र में स्थित कायमनगर गांव का है जहां स्थित उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय जो एक कब्रिस्तान में है जहां पढ़ने वाले बच्चे दिनभर मुर्दों के साथ पढ़ाई करते हैं। स्कूल आने से पहले वह कब्र को सलाम करते हैं फिर अपने शिक्षकों को।
कब्रिस्तान में स्कूल होने के कारण स्कूल के बच्चे अब धीरे-धीरे निडर हो गए हैं। इन्ही के बीच खेलना कूदना और पढ़ना इनकी रोजाना की आदत बन गई है। जब बच्चे स्कूल की चौखट पर पहुंचते हैं तो उन्हें पहले कब्रिस्तान और लाश को पार करना पड़ता है।
जब स्कूल की हकीकत के बारे में वहां पढ़ रही छात्रा निशा परवीन से बातचीत की गई तो उसने बताया कि हम लोगों के पास मजबूरी यह है कि हमें पढ़ाई करने के लिए कोई दूसरा जगह नहीं मिलती इसीलिए हम लोग इस कब्रिस्तान वाले स्कूल में आते हैं। क्योंकि हम पढ़ेंगे तभी आगे बढ़ेंगे। स्कूल में हमेशा से ही यह रिवाज रहा है कि जब भी बच्चे स्कूल आते हैं पहले कब्रिस्तान को सलाम करते हैं फिर शिक्षक को।
Comments
Post a Comment