उस रोज आरुषि की मर्डर ही नहीं हुई, जाने पूरी वारदात… MEXA NEWS
That day, Aarushi's death was not there, the whole incident happened ...
In the case of the Aarushi murder case, the Allahabad High Court acquitted the Talwars by giving the benefit of doubt in the absence of evidence to the Talwars. In the case of the decision in favor of the Aarushi couple, a big question came out that if the Marwar Talwar couple of Aarushi and Hemraj did not, then who was the killer of both of them?
Why did the police and the CBI fail to present the correct investigation and adequate evidence of this matter? These questions are answered in the report of the former journalist of the Times of India. This report shows how the death of Aarushi and Hemraj did not happen that day, but the evidence was also slaughtered on the next day, that too in front of the police.
According to the report, on the morning of May 17, 2008, to understand the case of Aarushi murder case, Nilabh Banerjee turned to the house of Talwar couple. He writes that he had to do a story so that he could recreate crime scenes through graphics.
He says that I had no problem finding the Talwar couple's house because the long queues of the Ovi Vance brought me to the house where the horrific killer was killed. There was crowd of people around the neighborhood.
There were huge crowds of neighbors and media workers in the flat stairs and courtyards that were interested in knowing the facts of the incident. The first thing that surprised me was that there was a lock on the grill which was telling me that there could be some confusion.
Someone in the crowd advised that there was a lot of blood lying on the terrace. Surprising surprise on the roof increased There were not enough police personnel to stop the crowd.
उस रोज आरुषि की मर्डर ही नहीं हुई, जाने पूरी वारदात…
आरुषि हत्याकांड के मामले में इलाहाबाद न्यायालय ने CBI के निर्णय को पलटते हुए तलवार दंपति को सबूतों के अभाव में शक का फायदा देते हुए बरी कर दिया. मामले में आरुषि दंपति के पक्ष में आए निर्णय से एक बड़ा सवाल सामने आया कि अगर आरुषि व हेमराज की मर्डर तलवार दंपति ने नहीं की तो आखिर उन दोनों का किलर कौन था?
क्यों पुलिस व सीबीआई इस मामले की सही जांच व पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रही? इन सब सवालों का जवाब टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व पत्रकार की रिपोर्ट में मिलते हैं. ये रिपोर्ट बताती है कि आखिर कैसे उस रोज आरुषि व हेमराज की ही मर्डर नहीं हुई बल्कि दूसरे दिन सबूतों का भी कत्ल कर दिया गया, वो भी पुलिस के सामने.
रिपोर्ट के मुताबिक 17 मई 2008 की प्रातः काल आरुषि हत्याकांड के मामले को समझने के लिए नीलाभ बनर्जी ने तलवार दंपति के घर की ओर रुख किया. वो लिखते हैं कि उन्हें एक स्टोरी करनी थी जिससे की वो अपराध सीन को ग्राफिक्स के जरिए रीक्रिएट कर सकें.
वो कहते हैं कि मुझे तलवार दंपति के घर को ढूंढने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि ओवी वैन्स की लंबी कतारों ने मुझे उस घर तक पहुंचा दिया जहां दिल दहलाने वाला हत्याकांड हुआ था. वहां आसपड़ोस के लोगों की भीड़ जमा थी.
फ्लैट की सीढ़ियों व आंगन में उन पड़ोसियों व मीडियाकर्मियों की भारी भीड़ मौजूद थी जो घटना की असलियत जानने के इच्छुक थे. मुझे वहां पहुंचकर सबसे पहले हैरानी इस बात से हुई कि ग्रिल पर ताला लगा हुआ था जो ये बता रहा था कि वहां कुछ गड़बड़ हो सकती है.
भीड़ में किसी ने सलाह दी कि छत पर जाइए वहां बहुत खून पड़ा है. छत पर जाने पर हैरानी का आलम व बढ़ गया. वहां भीड़ को रोकने के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी भी मौजूद नहीं थे.
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