अगर आपके पास हैं दस के सिक्के तो नई मुसीबत में फंस सकते हैं आप MEXA NEWS
If you have ten coins, you can get trapped in the new trouble.
The coins that operated the market during the note-down. Now the markets have come in a state of uncertainty over these coins. For the past six months, transactions of coins of ten rupees in the city market have been affected.
Now after the banks have been overburdened, the merchants are now crossing these coins. A large number of coins have been collected in the temples. The bank management is returning the bank from the bank by referring to the ten rupees coins for the market circulation.
In this case, what to do with these coins. Everyone is concerned about this. The market is in doubt. In fact, during the Navaratri, the Ranjigari received a huge amount of rupees from one rupee to ten rupees in the temples of the city.
The coins of thirty thousand rupees are lying near a temple in the city, but the bank is not ready to take management. Now, to remove these coins, the merchants are being contacted, but success has not been undertaken.
Nearly 40 thousand coins have been collected near another temple in the city. It is believed that it is not being easy to count, it is being returned from the bank.
Number of coins increased after the notebook
Before the ban, the market was normal for coins of ten rupees. After registering the number of coins increased by ten rupees. During that time, notes of one hundred rupees were coming in low volume. Traders started taking huge amounts of coins for ten rupees to run their business.
But now the return of fake and real to the customer is coming out. Merchants say that this situation was not before the ban on bondage. The number of coins has become due to the market being more. Bank management is not coming out to negotiate on this subject.
Mercenary
There are two types of coins of ten rupees in the market. There is confusion about real and fake coins. Even big businessmen with small traders are not able to identify coins of ten rupees correctly.
In such cases, traders have stopped taking coins for avoiding the loss. Bank management, on the other hand, is also chasing traders. Now the customer class seems to be refusing to accept coins of ten rupees.
Bank management is arguing. The currency of ten rupees is Indian currency, despite being returned to it. Now these coins are being negotiated with small traders. Coins of about 25 thousand rupees are currently present. - Rakesh Kumar, Pradhan, Kali Mandir NIT
The stores are being opened every month. Instead of going to the bank on arrival coins are changing by giving devotees who come here. About a thousand coins are coming every month. - Acharya Santosh, Banke Bihari Temple
The customer is not ready to accept a ten rupee coin in the real and fake affair. So the coin has stopped taking. We have got the coins, now what to do. - Sanjay Kumar, businessman
The currency of ten rupees is Indian currency. Every bank has to take it. If no bank takes it then action will be taken on it. Those who have coins also can give their complaints. The concerned bank will be interacted. - Indra Mohan Sharma, Leading Bank Manager, Faridabad
अगर आपके पास हैं दस के सिक्के तो नई मुसीबत में फंस सकते हैं आप
नोटबंदी के दौरान जिन सिक्कों ने बाजार को चलाया। अब इन सिक्कों को लेकर बाजार असमंजस की स्थिति में आ गया है। पिछले छह माह से शहर के बाजार में दस रुपये के सिक्कों का लेनदेन प्रभावित है।
बैंकों के पल्ला झाड़े जाने से अब इन सिक्कों से व्यापारी वर्ग किनारा करने लगा है। मंदिरों में भारी मात्रा में सिक्के एकत्रित हो गए हैं। बैंक प्रबंधन दस रुपये के सिक्के मार्केट सर्कुलेशन के लिए होने का हवाला देकर व्यापारियों को बैंक से वापस लौटा रहा है।
ऐसे में इन सिक्कों का क्या किया जाए। इसको लेकर हर कोई चिंतित है। बाजार संशय की स्थिति में है। दरअसल, नवरात्र के दौरान शहर के मंदिरों में एक रुपये से लेकर दस रुपये की रेजगारी भारी मात्रा में प्राप्त हुई है।
शहर के एक मंदिर के पास तीस हजार रुपये के सिक्के पड़े हैं, लेकिन बैंक प्रबंधन लेने को तैयार नहीं है। अब इन सिक्कों को निकालने के लिए व्यापारी वर्ग से संपर्क किया जा रहा है लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है।
शहर के एक अन्य मंदिर के पास करीब 40 हजार रुपये के सिक्के एकत्रित हो गए हैं। माना जा रहा है कि इसकी गिनती करना आसान नहीं होने के चलते बैंक से वापस लौटाया जा रहा है।
नोटबंदी के बाद बढ़ी सिक्कों की संख्या
नोटबंदी से पहले दस रुपये के सिक्कों को लेकर बाजार सामान्य था। नोटबंदी के बाद दस रुपये के सिक्कों की संख्या बढ़ गई। उस दौरान एक सौ रुपये के नोट कम मात्रा में आ रहे थे। व्यापारियों ने अपना व्यापार चलाने के लिए दस रुपये के सिक्कों को भारी मात्रा में लेना शुरू कर दिया।
लेकिन अब वापस ग्राहक को देने में नकली एवं असली का चक्कर सामने आ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी से पहले यह स्थिति नहीं थी। सिक्कों की संख्या बाजार में अधिक होने के कारण हो गई है। बैंक प्रबंधन इस विषय पर बातचीत करने के लिए सामने नहीं आ रहा है।
नकली एवं असली के भ्रम में व्यापारी
बाजार में दस रुपये के दो प्रकार के सिक्के हैं। इनमें असली एवं नकली सिक्कों को लेकर भ्रम की स्थिति है। छोटे व्यापारी के साथ बड़े व्यापारी भी दस रुपये की सिक्कों की पहचान सही से नहीं कर पा रहे हैं।
ऐसे में व्यापारियों ने नुकसान से बचने के लिए सिक्कों को लेना ही बंद कर दिया है। दूसरी तरफ बैंक प्रबंधन भी व्यापारियों से पीछा छुड़ा रहे हैं। अब ग्राहक वर्ग भी दस रुपये का सिक्का लेने से साफ इन्कार करता नजर आ रहा है।
बैंक प्रबंधन मनमानी कर रहा है। दस रुपये का सिक्का भारतीय मुद्रा है, उसके बावजूद वापस लौटाया जा रहा है। अब इन सिक्कों के लेकर छोटे-छोटे व्यापारियों से बातचीत हो रही है। करीब 25 हजार रुपये के सिक्के वर्तमान में मौजूद है। - राकेश कुमार, प्रधान, काली मंदिर एनआईटी
हर माह भंडार खोलाजा रहा है। सिक्के आने पर बैंक में जाने के बजाय यहां आने वाले भक्तों को देकर बदल रहे हैं। हर माह करीब एक हजार सिक्के आ रहे हैं। - आचार्य संतोष, बांके बिहारी मंदिर
असली एवं नकली के चक्कर में दस रुपये का सिक्का ग्राहक लेने को तैयार नहीं है। इसलिए सिक्का लेना बंद कर दिया है। हमारे पास ही सिक्के पड़े है, अब इसका क्या करें। - संजय कुमार, व्यापारी
दस रुपये का सिक्का भारतीय मुद्रा है। हर बैंक को इसे लेना है। यदि कोई बैंक नहीं लेता है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी। जिन के पास भी सिक्के है, वह अपनी शिकायत दे सकते हैं। संबंधित बैंक से बातचीत की जाएगी। -इंद्र मोहन शर्मा, अग्रणी बैंक प्रबंधक, फरीदाबाद
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