अब प्राइवेट कर्मचारी भी परमानेंट होंगे, सरकार भरेगी PF का पैसा MEXA NEWS
Private employees will also be Permanent, Government will pay PF money
new Delhi. To bring the economy back on track, the government has planned to provide employment to the unemployed. Now employees working in private companies will be guaranteed so that they do not run behind government jobs and the pressure on the government is reduced. The government is recommending companies to ensure maximum employees, in return, the government will raise the expenditure on PF. It will have many benefits. People will get employment, companies will get rid of the switching of employees and the burden of distributing jobs from government head will be reduced.
This proposal was sent to the Ministry of Labor, Ministry of Finance. It has been principally stamped on. This plan can be announced with the announcement of relief package or later. Relief package announcement may be announced in the beginning of October to accelerate the sluggish economy. According to the Ministry of Labor, when companies were asked to increase the job, most companies were saying that they are not giving Permanent Job because The financial burden on them is increasing. So he is temporarily recruiting youth. The same thing is troubling the government. Temporarily admits recruitment not to be a market and expert job. They say that companies employ such recruits for three months, six months or a year and later they hire new people.
It also does not require them to increase the salaries. This is the reason why the Labor Ministry has sent this recommendation to the Finance Ministry in relation to the PF's contribution to taxpayers with more permanent jobs. Which has been theoretically approved. According to the report of the Ministry, in the organized sector, only 6.70 lakh new jobs have been created in the last three years, whereas more than 10 million youths are employed every year.
With the slow pace of the economy and decreasing demand, companies with millions of IT engineers are now laying down employees. Figures of executive search firm Head Hunters India are going to be even more intimidating. The firm estimates that in the next three years, 5-6 lakh employees of IT companies can be unemployed. However, Body Nasscom of IT companies has rejected this estimate.
In other sectors, the speed of new job opportunities is very slow. According to the Labor Bureau data, in the last business year, only 2.30 lakh jobs can be generated in 8 sectors, including manufacturing, transport, health and education, whereas in the country about 1.80 crore people join workforce every year. Last year, the number of unemployed was 1.77 crore and this could go up to 1.78 crore this year.
अब प्राइवेट कर्मचारी भी परमानेंट होंगे, सरकार भरेगी PF का पैसा
नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार देने की योजना बना ली है। अब प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को परमानेंट किया जाएगा ताकि वो सरकारी नौकरियों के पीछे ना भागें और सरकार पर दवाब कम हो। सरकार कंपनियों को आॅफर कर रही है कि वो ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को परमानेंट करें, बदले में पीएफ पर आने वाला खर्चा सरकार उठाएगी। इसके कई फायदे होंगे। लोगों को रोजगार मिलेगा, कंपनियों को कर्मचारियों की स्विचिंग से मुक्ति मिल जाएगी और सरकार के सिर से नौकरियां बांटने का बोझ कम हो जाएगा।
यह प्रस्ताव श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को भेजा था। इस पर सैद्धांतिक तौर पर मुहर लग गई है। राहत पैकेज की घोषणा के साथ या बाद में इस योजना की घोषणा की जा सकती है। सुस्त इकॉनमी में गति लाने के लिए राहत पैकेज की घोषणा अक्टूबर के आरंभ में हो सकती है।श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जॉब बढ़ाने को लेकर जब कंपनियों से बातचीत की गई तो अधिकांश कंपनियों का कहना था कि वह परमानेंट जॉब इसलिए नहीं दे रहे क्योंकि उन पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। इसलिए वह अस्थायी तौर पर युवाओं को भर्ती कर रहे हैं। यही बात सरकार को परेशान कर रही है। अस्थायी तौर पर भर्ती को मार्केट और एक्सपर्ट नौकरी नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि कंपनियां ऐसी भर्तियां तीन महीने, छह महीने या सालभर के लिए करती हैं और बाद में नए लोगों को नौकरी पर रख लेती हैं।
इससे उन्हें सैलरी बढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। यही कारण है कि श्रम मंत्रालय ने इस बाबत वित्त मंत्रालय को यह सिफारिश भेजी कि ज्यादा परमानेंट नौकरी देने वाली कंपनियों को टैक्स राहत के साथ पीएफ के योगदान में राहत दी जाए। जिसे सैद्धांतिक तौर पर मंजूर कर लिया गया है। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार संगठित क्षेत्र में पिछले तीन साल में मात्र 6.70 लाख नई नौकरियां पैदा हो सकी हैं, जबकि हर साल करीब 1 करोड़ से ज्यादा युवाओं को नौकरी की दरकरार होती है।
इकॉनमी की धीमी होती रफ्तार और डिमांड कम होने से हर साल लाखों आईटी इंजिनियर रखने वाली कंपनियां अब कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। एग्जिक्यूटिव सर्च फर्म हेड हंटर्स इंडिया के आंकड़े तो और भी डराने वाले हैं। फर्म का अनुमान है कि अगले तीन सालों में आईटी कंपनियों के 5-6 लाख कर्मचारी बेकार हो सकते हैं। हालांकि, आईटी कंपनियों की बॉडी नैस्कॉम ने इस अनुमान को खारिज कर दिया है।
दूसरे सेक्टरों में भी नई नौकरियों के अवसर पैदा होने की रफ्तार बेहद धीमी है। लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले कारोबारी साल में मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्ट, हेल्थ और एजुकेशन समेत 8 सेक्टरों में सिर्फ 2.30 लाख नौकरियां ही किएट हो सकीं जबकि देश में हर साल 1.80 करोड़ लोग वर्कफोर्स में जुड़ जाते हैं। पिछले साल बेरोजगारों की संख्या 1.77 करोड़ थी और वह इस साल 1.78 करोड़ तक जा सकती है।
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